वक़त ने डाल दी है
अनगिनत सलवटें
मेरी जिंदगी की सफ़ेद चादर पर
हर सलवट
एक पूर्ण कहानी
जिसमे है
कुछ टूटने व् कुछ बनने का अहसास
कली के मुस्कराने से लेकर
फूल बनकर मुरझा जाने तक का फासला
मैंने शराब की तरह पिया है
और छलक कर गिरी हुई बूंदों ने
नज्मो की शक्ल अखतिआर कर ली है
बहुत खूब ....
ReplyDeleteवो जो गुलाब बनके मुरझाया .....
मिट्टी में महक हो गयी....
उसके प्याले से छलकी जो इक बूँद ....
दरिया की झलक हो गयी ....
good.. achhi rachna hai anita ji,, jo subject aadmi ko kuredte hai un pr aapne klm chlai hai
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteBahut achha kaha hai,Badhai.
ReplyDeleteMeethesh Nirmohi,Jodhpur.